बौधगया मुक्ती आंदोलन के समर्थन मे दुर्गापूर मे महाआक्रोश

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बौधगया मुक्ती आंदोलन के समर्थन मे दुर्गापूर मे महाआक्रोश

माननीय ठाणेदार कि सहायता से राष्ट्रपती को सोपा निवेदन

दुर्गापूर – समुचे भारत वर्ष मे जो भी धार्मिक स्थल हैं उनका नियंत्रण एवम व्यवस्थापन उन्ही के धर्म के लोगो द्वारा किया जाता हैं परंतु जगविख्यात बोधगया का महाबोधी महाविहार का नियंत्रण एवम व्यवस्थापन बौध्द लोगो के पास ना होते हुवे गैर बौध्द लोगो के पास दिया हुवा हैं |
इसलिये दुनियाभर के पूज्य बौध्द भिक्षुओ ने बौधगया स्थल पर 12 फेब्रुवारी 2025 से अन्नत्याग आंदोलन शुरु किया हैं |
इस आंदोलन को समर्थन देणे हेतू महाराष्ट्र मे आणे वाले चंद्रपूर जिल्हे के दुर्गापूर ऊर्जानगर ग्रामीण क्षेत्र के आस पडोस के गाव से सेकडो लोगोने मोर्चा निकाला |

इस आंदोलन कि सुरवात दुर्गापूर स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के पुतले को अखिल भारतीय समता सैनिक दल कि दुर्गापूर शाखा के सैनिको कि माणवंदना से कि गयी | इस आंदोलन का आयोजन संविधान रक्षक समिती कि अगुवाई मे किया गया |

इस मोर्चा मे केंद्र सरकार एवम बिहार सरकार के मनुवादी व्यवस्थापन के विरोध मे आक्रोश देखणे को मिला | *विरासत के वारीस आये साथ बोधगया विहार होगा बौध्द लोगो के हाथ, गैर बौध्द हटावं बोधगया बचाव* के नारो से समुचा दुर्गापूर गुंज उठा | धम्मनायक सम्राट अशोक ने उनके कार्यकाल मे महाबोधी महाविहार का निर्माण कारवाया था तथा भगवान बुद्ध को जिस बोधी वृक्ष के नीचे परम ज्ञान प्राप्त हुवा वो बोधी वृक्ष भी इसी परिसर मे मोजूद होणे के कारण सिर्फ भारतवर्ष से नही आपितु दुनियाभर से बौध्द अनुयायी एवम भिक्षु बौधगया स्थल पर आते रहते हैं | परंतु बोधगया महाविहार का नियंत्रण एवम व्यवस्थापन गैर बोध्द लोगो के हाथो मे होणे के कारण – महाविहार का व्यवस्थापन बौध्द लोगो को सोपा जायl
The Buddhist Temple Act -1949 निरस्त किया जाय इन मांगो को लेकरं के निवेदन सोपा गया |

इस आंदोलन को सफल बनाने के लिये आयोजक संविधान रक्षण समिती के पदाधिकारीयो के साथ अखिल भारतीय समता सैनिक दल के सैनिक संदीप देठेकर, शैलेश सोनटक्के, अविनाश बेले, सुरेश वाघमारे, युवराज भिमटे, अनंत बाबरे, रुपेश वालकौंडे, गंगाधर भगत, संगीता तावडे, लता खोब्रागडे, विद्या नंदेश्वर, रत्नामाला लोखंडे, जोशीला मानकर सुनंदा शंभरकर इत्यादी सैनिकोने अपना योगदान दिया |

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